जब वो मुझको…मेरा नहीं लगता,
कुछ भी अपनी जगह नहीं लगता.!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जब वो मुझको…मेरा नहीं लगता,
कुछ भी अपनी जगह नहीं लगता.!!
तेरा रुतबा बहुत बुलंद सही,
……देख हम भी खुदा के बन्दे हैं.!!
हर वक़्त ख्याल उसका ऐ दिल,
क्या मैं तेरा कुछ भी नहीं लगता..
ज़िंदगी भर नम रहीं आँखें तो क्या .
ले तेरे बिन भी गुज़ारा कर लिया…
कोई मेरे दिल में रहकर भी
बेखबर है मुझसे ||
एहसास ए मोहब्बत क्या है ज़रा हमसे पूछो ?
करवटें तुम बदलते हो नींद मेरी उड़ जाती है …
मुझे सम्भालने मे इतनी अहेतीयात मत कर ,
मै बिखर न जाऊ कहीँ तेरी हिफाजत मे..
ग़ैरों से पूछता है तरीका निजात का…
अपनों की साजिशों से परेशान ज़िन्दगी… !!
ऐ समन्दर मैं तुझसे वाकिफ हूं मगर इतना बताता हूं…
वो आंखें तुझसे ज्यादा गहरी हैं जिनमें मैं समाता हूं…
कौन चाहता है तेरी यादो से रिहा होना,
ये तो वो कैद है जो जान से ज्यादा अज़ीज़ है |