शाम ढलने से पहले चराग हमने
बुझा दिए. . . .
तुझसे ही सिखा है यूँ
दिलो में अँधेरा करना..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
शाम ढलने से पहले चराग हमने
बुझा दिए. . . .
तुझसे ही सिखा है यूँ
दिलो में अँधेरा करना..
बिन धागे की सुई सी है ये ज़िंदगी….. सिलती कुछ नहीं, बस
चुभती जा रही है.
सिलवटों से भरी है तमाम रूह उसकी
एक शिकन भी नहीं है लिबास में जिसके..
मत जियो उसके लिए जो दुनिया के लिए खूबसूरत हो |
जियो उसके लिए जो तुम्हारी दुनिया खूबसूरत बनाये
जिनके पास इरादे होते है ना।।
उनके पास बहाने नही होते।।
आरज़ू थी तुम्हारी तलब बनने की !!
मलाल ये कि तुम्हारी लत लग गयी !!
बदला न अपने-आप को जो थे वही रहे…
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे..
तुम्हारे होते हुए भी हम तनहा है,
इससे बढ़कर क्या सबूत होगा तुम्हारी बेरुखी का !!
तुम बहोत साल रह लिए अपने,
अब मेरे और सिर्फ मेरे होकर रहो !!
उसने कहा हम दिन और रात जैसे है, कभी एक नही हो सकते..!! मैंने कहा आओ शाम को मिलते है….!