है याद मुलाकत की वो शाम…
अभी तक…
तुझे भूलने में हूँ नाकाम अभी तक|
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पुछा उसने मुझे
पुछा उसने मुझे कितना प्यार करते हो…
मै चुप रहा यारो क्योकि मुझे तारो
की गिनती नही आती|
मशाल ए आतिश
मशाल ए आतिश है ये रोग ए मुहब्बत
रोशन तो करती है मगर जला जला कर
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फलक पे लिख दो
फलक पे लिख दो नाम तुम ये तमन्ना है मेरी ,
पर! मुझ तक आने का वो रास्ता याद रखना !
बडे अजीब लोग
बडे अजीब लोग हमने देखे चलते-फिरते यहाँ
खुद की जीत के लिए औरों को बदनाम करते सब यहाँ !!
खुदा जाने कौनसा
खुदा जाने कौनसा गुनाह कर बैठे है हम कि,,,
तमन्नाओं वाली उम्र में तजुर्बे मिल रहे है|
सोचा था की अच्छा है
सोचा था की अच्छा है न गिला पहुंचे, न मलाल पहुंचे,
बिछडे तो ये आलम है न दुआ पहुंचे,न सलाम पहुंचे…!!
हार जाउँगा मुकदमा
हार जाउँगा मुकदमा उस अदालत में, ये मुझे यकीन था..
जहाँ वक्त बन बैठा जज और नसीब मेरा वकील था…
अजीब हूं मैं
अजीब हूं मैं भी कि अपने आप को गंवाना चाहता हूँ … कि अपने आप से पीछा छुड़ाना चाहता हूँ … !!
सारे गमों को
सारे गमों को पैर से ठुकरा देते है
हम उदास हो तो, बस मुस्कुरा देते है|