इश्क का समंदर भी क्या समंदर है,
जो डूब गया वो आशिक जो बच गया वो दीवाना…
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वक़्त ही कुछ
वक़्त ही कुछ ऐसा आ ठहरा है अब…
यादें ही नहीं होतीं याद करने के लिए…
कोई बताये की
कोई बताये की मैं इसका क्या इलाज करूँ
परेशां करता है ये दिल धड़क-धड़क के मुझे……….
तेरे बगैर भी
तेरे बगैर भी कहती है मुझे जीने को ये
जिदंगी भी सही मशविरा नही देती।
चाँद बताने के वास्ते
अपने दिए को चाँद बताने के वास्ते,
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बस्ती का हर चराग बुझाना पड़ा हमे
पता नहीं क्यूँ
पता नहीं क्यूँ कभी कभी लगता है,
बचपन के दिन सिर्फ पचपन ही थे !!
जिंदगी मे बस
जिंदगी मे बस एक बात याद रखना,
कोई भी बात याद कर-करके परेशान न होना !!
जिंदगी जीने के लिए
जिंदगी जीने के लिए मिली थी,
लोगों ने सोचने में गुजार दी !!
यूँ ही नहीं होती
यूँ ही नहीं होती, जनाज़ों में भीड़ साहब…!!
हर शख्स अच्छा है, बस दुनिया से चले जाने के बाद…!!
चाहे कोई कुछ कहे
चाहे कोई कुछ कहे हर दिल में हम जगह बना लगे
लाख सितम सह कर भी हर दिल में जगह बना लेंगे|