शब के साथ गहरे होते जाते है…तेरे ख्याल भी…
इंतिजार-ए-सहर तो नही…पर उस वक़्त….
हर ख्याल तेरा….बेशकीमती होता है।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
शब के साथ गहरे होते जाते है…तेरे ख्याल भी…
इंतिजार-ए-सहर तो नही…पर उस वक़्त….
हर ख्याल तेरा….बेशकीमती होता है।
ये शरारत भरा लहजा तो आदत है मेरी . . .
तू हर बात पे यूँ आँखे लाल ना किया कर . . . ।
अगर दिल भर गया हो तो मना करने में कैसा डर,
प्यार में बेवफाओं पर मुकदमा थोड़े होता है …
उसे पाने की कोई आरज़ू ना रही अब,
पर खो जाने का डर बहुत सताता है।
सोचता हूं जिन्दा हूं, मांग लूं सब से माफी,
ना जाने मारने के बाद, कोई माफ करे या न करे
हालात हैं वक़्त है या फिर ख़ुदा,,,
ये रह रह के मुझे परखता है कौन…
मुझे क़बूल नहीं इश्क़ दूसरा हरगिज़,
मेरे बदन पर पुराना लिबास रहने दो…..!!
दिल के बाहर भी कुछ समंदर हैं,
थोड़े कम दर्द जिनके अन्दर हैं…!
रात ख़्वाब में, मैंने अपनी मौत देखी थी..
इतने रोने वालों में तुम नज़र नहीं आए…
मुझसे मोहब्बत पर मशवरा मांगते हैं लोग…
उसका इश्क़ कुछ इस तरह तजुर्बा दे गया मुझे…