वो भी शायद रो पड़े खाली कागज देख कर
मैंने उसको आखरी खत में लिखा कुछ भी नही
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उसने हमसे पुछा…
उसने हमसे पुछा…रह लोगे मेरे बिना..?
साँस रुक गयी….
और उन्हें लगा कि…. हम सोच रहें हैं|
एहसास-ए-मोहब्बत में
एहसास-ए-मोहब्बत में बस इतना ही काफी है…
तेरे बगैर भी तेरे साथ रहते हैं…
मैंने तो माँगा था
मैंने तो माँगा था थोड़ा सा उजाला अपनी जिंदगी में ,
वाह रे चाहने वाले तूने तो आग ही लगा दी जिंदगी में !!
न वफा का जिक्र
न वफा का जिक्र होगा
न वफा की बात होगी
अब मोहब्बत जिससे भी होगी..
रुपये ठिकाने लगाने के बाद होगी..
वो दुआएं काश
वो दुआएं काश मैने दीवारों से मांगी होती,
ऐ खुदा.. सुना है कि उनके तो कान होते है!!
तुम ना लगा पाओगे
तुम ना लगा पाओगे अंदाजा मेरी तबाही का,
तुमने देखा ही कहाँ है मुझे शाम होने के बाद….
ये लफ़्ज़ों की शरारत है
ये लफ़्ज़ों की शरारत है, ज़रा संभाल कर लिखना तुम;
मोहब्बत लफ्ज़ है लेकिन ये अक्सर हो भी जाती है।
दिल में आयी थी
दिल में आयी थी वो बहुत से रास्तो से,
जाने का रास्ता ना मिला तो वो दिल ही तोड़ गयी…!!!
तुम कभी गलतफहमी में
तुम कभी गलतफहमी में रहते हो…कभी उलझन में रहते हो ,
इतनी जगह दी है तुमको दिल में तुम वहाँ क्यों नहीं रहते…!!