अगर फुर्सत मिले तो समझना मुझे भी कभी,
तुम्हारी ही उलझनों मे तो उलझा था मैं उम्रभर !!
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तेरा इश्क जैसे
तेरा इश्क जैसे प्याज था शायद।
परते खुलती गयी आँसू निकलते गये॥
चलो दौलत की
चलो दौलत की बात करते हैं,
बताओ तुम्हारे दोस्त कितने हैं….!!
कभी जो लिखना
कभी जो लिखना चाहा तेरा नाम अपने नाम के साथ
अपना नाम ही लिख पाये और स्याही बिखर गई…..
बड़ा अजीब सा
बड़ा अजीब सा जहर था, उसकी यादों का,
सारी उम्र गुजर गयी, मरते – मरते…….
ये जिंदगी तेरे साथ हो …
ये जिंदगी तेरे साथ हो …
ये आरजू दिन रात हो ….
मैं तेरे संग संग चलूँ …
तू हर सफर में मेरे साथ हो …..
आज नही तो कल
आज नही तो कल ये एहसास हो ही
जायेगा….!!..
कि “नसीब वालो” को ही मिलते है फिकर
करने वाले”
मुझे किसीसे नहीं
मुझे किसीसे नहीं अपने आप से है गिला,
मैंने क्यूँ तेरी चाहत को जिन्दगी समझा|
इस कदर हम
इस कदर हम उनकी मुहब्बत में खो गए,
कि एक नज़र देखा और बस उन्हीं के हम हो गए,
आँख खुली तो अँधेरा था देखा एक सपना था,
आँख बंद की और उन्हीं सपनो में फिर सो गए!
इश्क का समंदर
इश्क का समंदर भी क्या समंदर है, जो डूब गया वो आशिक जो बच गया वो दीवाना…!!