कुछ तो शराफत सीख ले ऐ ‘मोहब्बत’ शराब से,
बोतल पे कम से कम लिखा तो है कि मैं जानलेवा हूँ..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ तो शराफत सीख ले ऐ ‘मोहब्बत’ शराब से,
बोतल पे कम से कम लिखा तो है कि मैं जानलेवा हूँ..
मेरी दहलीज़ पर आ कर रुकी है..हवा_ऐ_मोहब्बत,
मेहमान नवाज़ी का शौक भी है उजड़ जाने खौफ भी…
रहे दो दो फ़रिश्ते साथ अब इंसाफ़ क्या होगा
किसी ने कुछ लिखा होगा किसी ने कुछ लिखा होगा
नसीहते न दो, हम इश्क़ करने वालो को ,
ये आग और भी भड़क जायेगी कह दो बुझाने वालो से
झुठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते हैं,
तरक्की के बाज़ की उडान में कभी आवाज़ नहीं होती।
तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया हूँ,
उस के बाद मुझे कोई अजनबी नहीं मिला|
कोशिश करता हूँ कि अंधेरे खत्म हो लेकिन,
कहीं जुगनू नही मिलता, कहीं चाँद अधूरा है।
उसे जो लिखना होता है, वही वो लिख के रहती है,
क़लम को सर कलम होने का कोई डर नहीं होता।
उस ज़ुल्फ़ के फंदे से निकलना नहीं मुमकिन,
हाँ माँग कोई राह निकाले तो निकाले|
इस दुनिया में कुछ अच्छा रहने दो,
बच्चों को बस बच्चे रहने दो|