मैं खुद भी अपने लिए
अजनबी हूं …
मुझे गैर कहने वाले
तेरी बात मे दम है…
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झूठ बोलते है वो
झूठ बोलते है वो…
जो कहते हैं,
हम सब मिट्टी से बने हैं
मैं कईं अपनों से वाक़िफ़ हूँ जो पत्थर के बने हैं
आज मैं भेज
आज मैं भेज रहा हूँ एक सबसे ज्यादा गहराई वाला शेर भेज रहा हूँ
अगर पसन्द आये तो शाबाशी अवश्य दीजियेगा
ऐ ख़ुदा हिन्दोस्ताँ को बख़्श ऐसे आदमी
जिनके सर में मग़ज़ हो और मग़ज़ में ताबिन्दगी
माला की तारीफ़
माला की तारीफ़ तो करते हैं सब,
क्योंकि मोती सबको दिखाई देते हैं..
काबिले तारीफ़ धागा है जनाब जिसने सब को जोड़ रखा है.
शौक से तोड़ो दिल
शौक से तोड़ो दिल मेरा मुझे क्या परवाह,
तुम ही तो रहते हो इसमे, अपना ही घर ऊजाड़ोगे”.
मुद्दत के बाद
मुद्दत के बाद उसने जो आवाज़ दी मुझे,
कदमों की क्या बिसात थी, सांसें ठहर गयीं…!!!
हमारा हक तो
हमारा हक तो नही है फिर भी हम तुमसे कहते हैं,
हमारी जिँदगी ले लो मगर उदास मत रहा करो..
हमी से सीखी है
हमी से सीखी है
वफ़ा-ऐ-मोहब्बत उसने,
जिससे भी करेगा… कमाल करेगा ।
वक़्त लगा था
वक़्त लगा था..पर संभल गया…
क्यों कि….
मैं ठोकरों से गिरा था किसी की नज़रों से नहीं…!!
ठंड
कोई नहीं मरता ठंड के कारण
मरते हैं लोग सरकारी फंड के कारण
नेताजी खा जाते हैं कंबल वाला फंड
बदनाम हो जाती है दिसंबर वाळी ठंड