बदला न अपने-आप को जो थे वही रहे…
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे..
Tag: शर्म शायरी
तुम बहोत साल रह लिए
तुम बहोत साल रह लिए अपने,
अब मेरे और सिर्फ मेरे होकर रहो !!
सादगी हो लफ़्ज़ों में…
सादगी हो लफ़्ज़ों में…तो यक़ीन मानिये…
इज़्ज़त बेपनाह और दोस्त बेमिसाल मिल जाते हैं….
बहोत बोलने वाले
बहोत बोलने वाले जब अचानक खामोश हो जाये,
तो उनकी खामोशी से सुकून नहीं खौफ आता है !!
सच को तमीज़ ही नहीं
सच को तमीज़ ही नहीं बात करने की,
झूठ को देखो कितना मीठा बोलता है !!
जब नहीं तुझको यक़ीं
जब नहीं तुझको यक़ीं तो अपना समझता क्यूँ है,
रिश्ता रखता है तो फिर रोज़ परखता क्यूँ है !!
शाम ढलते ही
शाम ढलते ही दरीचे में मेरा चाँद आकर।
मेरे कमरे में अँधेरा नहीं होने देता।।
अपनी रचनाओं में
अपनी रचनाओं में वो ज़िंदा है
नूर संसार से गया ही नहीं…
उस दुकान का पता
दो जहाँ लिखा हो,
साहिब
टूटे दिल का काम तसल्ली-बक्श किया जाता हैं..
अब न वो
अब न वो मैं न वो तू है न वो माज़ी है,
जैसे दो साए तमन्ना के सराबों में मिलें…