बुरा शख्स भी भला लगता हैं,,,,
इश्क शायद इसी को कहते हैं….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बुरा शख्स भी भला लगता हैं,,,,
इश्क शायद इसी को कहते हैं….
बुरे दिन के सबक ने ये कहा था
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मुझे रख लो जरूरी वाकया हूँ|
हमें पता है …तुम… कहीं और के मुसाफिर हो ..
हमारा शहर तो.. बस यूँ ही… रास्ते में आया था..!!
चुप चुप सा है वो…………
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बहुत कुछ कहना होगा……शायद उसे
आईना देख के, हैरत में न पड़िये साहब;
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आप में कुछ नहीं, शीशे में बुराई होगी!
बिन धागे की सुई सी है ये ज़िंदगी….. सिलती कुछ नहीं, बस
चुभती जा रही है.
घड़ी घड़ी वो हिसाब करने बैठ जाते है…
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जबकि उनको पता है, जो भी हुआ, बेहिसाब हुआ है..
खूब हूँ वाकिफ दुनिया से,
बस खुद से अनजान हूँ..
कितना किराया लोगे ऐ किराए के कातिलों,
मुझे इश्क
का सर कलम चाहिए…!!!
बहस में दोनों को लुत्फ़ आता रहा,,,
मुझ को दिल,मैं दिल को समझाता रहा…