प्यार किसी रिश्ते का नाम नहीं है,
ये वो रोशनी है जिसमे भगवान दिखाई देते है..
Tag: शर्म शायरी
जो उड़ गये परिन्दे
जो उड़ गये परिन्दे उनका अफसोस क्या करुँ…
यहाँ तो पाले हुये भी गैरो की छत पर उतरते है…
किताब बदलने की
मैं इतनी छोटी कहानी भी न था,
तुम्हें ही जल्दी थी किताब बदलने की।।
सुना है कि ख़त जला दिया है
सुना है कि ख़त जला दिया है उसने,
सुना है कि अब वो राख पढ़ा करती है…
कोशिश में हूँ
कोशिश में हूँ कि कह दूँ सब कुछ इस क़दर,
तेरा नाम भी ले लूँ और तेरा जिक्र भी ना हो…
माफ़ी चाहता हूँ
माफ़ी चाहता हूँ गुनाहगार हूँ तेरा ऐ दिल…!! तुझे उसके हवाले किया जिसे तेरी कदर नहीं…!!
जब कभी भी ख़वाब में
जब कभी भी ख़वाब में सहरा नज़र आया मुझे।
तिश्नगी में हमें मेरे मौला बस तेरा चेहरा नज़र आया मुझे।।
ज़रा सी फैली स्याही है
ज़रा सी फैली स्याही है,ज़रा से बिख़रे हम भी हैं,
काग़ज़ पर थोड़े लफ़्ज़ भी है छुपे हुए कुछ ग़म भी हैं…
जब कभी भी
जब कभी भी ख़वाब में सहरा नज़र आया मुझे।
तिश्नगी का इक नया चेहरा नज़र आया मुझे।।
लिखता हूँ तो
लिखता हूँ तो बस तुम ही उतरते हो कलम से ,
पढ़ता हूँ तो लहजा भी तुम और आवाज़ भी तुम|