ऐ ज़िंदगी अब तू ही रुठ जा मुझसे,
ये रुठे हुए लोग मुझसे मनाए नहीं जाते…|
Tag: शर्म शायरी
मत सोना किसी के
मत सोना किसी के कंधे पे सर रख कर
जब वो बिछड़ते है तो तकिये पे भी नींद
नहीं आती.
बेचैन निकलने को है
बेचैन निकलने को है, हसरत का जनाज़ा ।
है आखिरी मौक़ा, तुझे आना है तो आजा ।।
काश के वो लौट आये
काश के वो लौट आये मुझसे ये कहने ,
की तुम कोन होते हो मुझसे बिछड़ने वाले ??
आज मैंने दिल के
आज मैंने दिल के जज्बात भेजे,
तुमने फिर भी अलफ़ाज़ ही समझे !!
मंजूर है तेरे
मंजूर है तेरे हर फैसले, दूर जाने की वजह.. कि मजबूरी होगी कोई तेरी,
आँसू पोंछ ले पगली, मैने कब कहा तेरी बात पर यकीऩ नहीं…
लोग रहते हैं
लोग रहते हैं मकानों को महल बना कर,
और मेरा भगवान मिट्टी की मूरत में रहता है…
आज फिर उतनी ही
आज फिर उतनी ही मोहब्बत से बुलाओ ना,
कह दो मिलने का मन कर रहा है आओ ना।।
सभी के दामन में
सभी के दामन में दाग होते है,
ये सुनकर लोग नाराज क्यों होते है??
जो वक़्त पे
जो वक़्त पे रिप्लाई नही देते,
वो वक़्त पे साथ क्या देंगे।।