बूँदे कुछ यूँ गिरी,
क़ि कुछ ख़्याल भीग गये…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बूँदे कुछ यूँ गिरी,
क़ि कुछ ख़्याल भीग गये…
लड़कियों से क्या दोस्ती करना ,
जो पल भर में छोड़ जाती है ,
दोस्ती करनी है तो लड़को से करो ,
जो मरने के बाद भी कंधे पे ले जाते है |
कहाँ खर्च करूँ , अपने दिल की दौलत…
सब यहाँ भरी जेबों को सलाम करते हैं..!!……..
सारी दुनियाँ के ’बदलने’ से हमे फर्क नहीं पड़ता,,,,
बस कुछ ’अपनों’ का ’बदलना’ अजीब लगता है।…
कतरा-कतरा हम यू ही जिया करते है…,
ऐ जिंदगी…,
वक़्त ने मारा है हम को…,
फिर भी वक़्त की क़दर किया करते है…!!
वाह वाह बोलने की आदत डाल लो,
.
.
.
मै अपनी बरबादियां लिखने
वाला हुं…
हमें तो सुख मे साथी चाहिये दुख मे तो हमारी “माँ”
अकेली ही काफी हैं…
अच्छा बुरा जैसा भी हूँ …अपने लिए हूँ….
में खुद को नहीं देखता…ओरों की नज़र से ।।
जिंदगी के उसूल भी
कबड्डी के खेल की तरह है…,
जैसे ही सफलता की लाईन को छूते है ,
लोग लग जाते है पीछे खीचने मे !!!
मुलाकात के रास्ते खुले हैं …. अगर तुम अपनी जिद्द
छोड़ दो…