अनदेखे धागों में यूँ बाँध गया कोई …!!
के वो साथ भी नहीं, और हम आज़ाद भी नहीं !
Tag: शर्म शायरी
जिनको है मलाल
जिनको है मलाल कि कोई हमसफ़र नहीं,
मैं कहता हूँ कि उनको खुदा ने ज़िन्दगी बख्श दी
बहुत जलील था
बहुत जलील था वो दिन भी, मेरे लिए….
उधर
मोहब्बत किसी और की होने जा
रही थी…..
इधर लोग कह रहे थे.
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भाई एक “पूड़ी” और देना अच्छी नरम वाली।।।
दिल की xerox
आज दिल की xerox निकलवाई…..
सिर्फ बचपन
वाली तस्वीरें ही रंगीन नज़र आई ……
हालांकि मेरी माँ
हालांकि मेरी माँ ने कभी तंत्र विद्या नहीं सीखी है
पर जिस
लड़की पर मै फ़िदा होता हूँ मेरी माँ एक नजर में बता देती है कि ये
चुड़ैल है..
कारवां-ए-ज़िन्दगी
कारवां-ए-ज़िन्दगी हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं..
ये किया नहीं, वो
हुआ नहीं, ये मिला नहीं, वो रहा नहीं !!
सूरत सांवली हो
सूरत सांवली हो….. या चाँद सी..!
बेटियाँ मां बाप के लिए ‘परी’ ही
होती है..!
मुहब्बत ख़ूबसूरत होगी
मुहब्बत
ख़ूबसूरत होगी किसी और दुनियाँ में ।
इधर तो हम पर जो गुज़री है
हम ही जानते हैं ।।
रो रहे थे
रो रहे थे सब तो मैं भी फूट कर
रोने लगा
वरना मुझको बेटियों की रुख़सती अच्छी लगी
देखकर सोचा तो
देखकर सोचा तो पाया फासला ही फासला
और सोचकर देखा तुम मेरे बहुत करीब थे