हजारों में मुझे सिर्फ एक वो शख्स चाहिये
जो मेरी गैर मौज़ूदगी में
मेरी बुराई न सुन सके ।
Tag: शर्म शायरी
एक रस्सी है
एक रस्सी है..
जिसका एक सिरा ख्वाहिशों ने पकड़ा है..
और दूसरा औकात ने…
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इसी खींचातानी का नाम जिंदगी है।
ZINDAGI HAIRAAN HAI
ROOH TAK HAI ULJHI ULJHI ZINDAGI HAIRAAN HAI .
..JEENA MUSKIL MARNA MUSKIL MUSKILO ME JAAN HAI
ज़ख्म भले ही
ज़ख्म भले ही अलग अलग हैं,
लेकिन दर्द बराबर है ।
कोई फर्क़ नहीं पड़ता है,
तुम सह लो या मैं सह लूँ ।
तेरे बसरने का
तेरे बसरने का आज मुझे मलाल है
क्योंकि ये गरीब किसान की रोटी का सवाल है
हम दोनों का नाम
लोग आज भी हम दोनों का नाम साथ में लेते हे..
ना जाने ये “शोहरत” है या “बदनामी”
हथेलियों पर मेहँदी
हथेलियों पर मेहँदी का “ज़ोर” ना डालिये,
दब के मर जाएँगी मेरे “नाम” कि लकीरें…
क्यूँ बदलते हो
क्यूँ बदलते हो अपनी फितरत को ए मौसम,
इन्सानों सी।
तुम तो रहते हो रब के पास
फिर कैसे हवा लगी जमाने की।।।
क्या करा देती हैं
यादें भी क्या क्या करा देती हैं…..
कोई शायर हो गया……, कोई
खामोश !!!
हताशा मे डूबी
हताशा मे डूबी माँ के
आंसू जब औलाद पोंछती है..!!
हर कर्ज अदा हो जाता है..ममता धन्य
हो जाती है..!!