खुदा तुं भी कमाल का कारीगर नीकला,
खींच क्या लि दो तीन लकीर तूने हाथोंमे
ये भोला इन्सान उसे तक़दीर समझने लगा.. ||
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
खुदा तुं भी कमाल का कारीगर नीकला,
खींच क्या लि दो तीन लकीर तूने हाथोंमे
ये भोला इन्सान उसे तक़दीर समझने लगा.. ||
जिन्दगी तेरी भी, अजब परिभाषा है ।
सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है ।।
अब इस से भी बढ़कर गुनाह-ए-आशिकी क्या होगा !
जब रिहाई का वक्त आया..तो पिंजरे से मोहब्बत हो चुकी थी |
किसी ने घड़े से पूछा, कि तुम इतने ठंडे क्यों हो. …..
अति अर्थ पूर्ण उत्तर था घड़े का ;
जिसका अतीत भी मिट्टी,
और भविष्य भी मिट्टी, उसे गर्मी किस बात पर होगी. …….!!!
लाखों ठोकरों के बाद भी संभलता रहूँगा मैं..
गिरकर फिर उठूँगा, और चलता रहूँगा मैं…
गृह-नक्षत्र जो भी चाहें लिखें कुंडली में मेरी..
मेहनत से अपना नसीब बदलता रहूँगा मैं…
बडा अजीब सा खौफ़ था उस शेर की
आंखों मे.,
जिसने जंगल मे हमारे जुतों के निशान देखे…!!!!
बीता हुआ कल जा चुका है, उसकी मीठी याद में ही खुश हूँ
आने वाले कल का पता नहीं, इंतजार में ही खुश हूँ
किसी ने गालिब से पुछा
कैसे हो ?
गालिब ने हंस कर कहा-
जिन्दगी में गम है,
गम में दर्द है,
दर्द में मज़ा है. .
और ..
मजे में हम हैं ।
बड़ी चाहत होगी आखों में उसकी,
यूही दिल किसी की नहीं सुनता।।।।
किस्सा-ए-उल्फ़त बड़ी लम्बी कहानी है,
मैं ज़माने से नहीं हारा बस किसी की बात मानी है