हर लम्हे को कैद हैं इन आँखों में
ये रात की ख़ामोशी में दिखाई देते हैं
लेकिन ये सूरज की किरणें हमें
आने वाले पल का संकेत देती हैं
खुली बाहों से इनका सत्कार करो
यही तो जीवन में रंग भरती हैं |
Tag: शर्म शायरी
मुहब्बत मुकम्मल होती तो
मुहब्बत मुकम्मल होती तो ये रोग कौन पालता….!!!!
अधूरे आशिक ही शायर हुआ करते हैं….!!!!
है कोई जो
है कोई जो करेगा रफूगरी मेरी,
इश्क खा गया है, जगह जगह से मुझे..
ख्वाब मत बना
ख्वाब मत बना मुझे, सच नहीं होते,
साया बना लो मुझे, साथ नहीं छोडेंगे..
समन्दर भी हैरान था
समन्दर भी हैरान था, हमें डूबते देखकर,
की कैसा शख्स है किसी को पुकारा तक नही..
कसूर नहीं इसमें
कसूर नहीं इसमें कुछ भी तुम्हारा,
हमारी चाहत ही इतनी थी कि तुम्हे गुरूर आ गया..
दिल टुटने पर
दिल टुटने पर भी जो शख्स आपसे शिकायत तक न करे,
उससे ज्यादा मोहब्बत आपको कोई और नहीं कर सकता..
हर सजा कुबूल की हमने
हर सजा कुबूल की हमने,
कसूर सिर्फ इतना था की हम बेकसूर थे..
चाहा जिसको मैंने
चाहा जिसको मैंने वो मुझसे हठीला हो गया ।
दिल उसकी वफ़ा में और नशीला हो गया ।।
बिन धागे की सुई
बिन धागे की सुई सी हो गयी है, ये जिंदगी,
सिलती कुछ नही बस चुभती जा रही है..