ज़िन्दिगी बन जाती हैं.

दो परिंदे सोंच समझ कर जुदा हो गयें और जुदा होकर मर
गयें जानते हो क्यों? क्योंकि उन्हे नहीं मालूम था
कि नज़दीकियाँ पहले आदत फिर ज़रूरत और फिर
ज़िन्दिगी बन जाती हैं.।

WAQT HI YAAD

AGAR LOG AAPKO SIRF JARURAT KE WAQT HI YAAD KARTE HAI TO
BURA MAT MANO.

KYOKI
“MOMBATI KI YAAD TABHI AATI HAI JAB CHARO TARAF ANDHERA HO JATA HAI

लकीर नहीं हूँ मैं

इंसान हूँ, तहरीर नहीं हूँ मैं ।
पत्थर पे लिखी लकीर नहीं हूँ मैं ।।
मेरे भीतर इक रूह भी बसती है लोगों
सिर्फ़ एक अदद शरीर नहीं हूँ मैं ।।

छोटे से जख्म

वक़्त नूर को बेनूर बना देता है!
छोटे से जख्म को नासूर बना देता है!
कौन चाहता है अपनों से दूर रहना पर वक़्त सबको मजबूर बना देता है!

विश्वास भी सिर्फ तुम

तुम क्या जानो
कहाँ हो तुम
मेरे दिल में
मेरी हर धड़कन में
हर निगाह
जो दूर तलाक जाती है
हर आशा
जो पूरा होना चाहती है

तुम क्या जानो
क्या हो तुम मेरे लिए
मेरी हर पल की आस
मेरा विश्वास
ज़िन्दगी की बैचेन घड़ियों में
जिन्दा रहने को
पुकारती हुई तुम
मेरे करीब….हर पल
तुम ही तुम हो
मेरे लिए ये विश्वास भी
सिर्फ तुम…

बड़ी तकात है

“भरोसा” बहुत बड़ी तकात है
पर यह यू ही नही काम आती है

खुद पर रखो तो “ताकत” और दुसरो पर रखो
तो “कमजोरी” बन जाती है ।