तुम्हे गुरुर ना हो जाये हमे बर्बाद करने का
इसीलिए सोचा हमने महफ़िल में मुस्कुराने का..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुम्हे गुरुर ना हो जाये हमे बर्बाद करने का
इसीलिए सोचा हमने महफ़िल में मुस्कुराने का..
उस ने हँस कर हाथ छुड़ाया है अपना…
आज जुदा हो जाने में आसानी है ..
मैंने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी..
हमें बिकना ही होता तो यूँ तन्हा ना होते !!
बीती जो खुद पर तो कुछ न आया समझ
मशवरे यूं तो औरों को दिया करते थे..
तेरे मुस्कुराने का असर सेहत पे होता है,
लोग पूछ लेते है..दवा का नाम क्या है..!!
हवा चुरा ले गयी थी
मेरी ग़ज़लों की किताब..
देखो, आसमां पढ़ के रो रहा है
और नासमझ ज़माना खुश है कि बारिश हो रही है..!
मंजिल मिल ही जायेगी, भटकते हुए ही सही..
गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकले ही नहीं।
वो जिसकी याद मे हमने खर्च दी जिन्दगी अपनी।
वो शख्श आज मुझको गरीब कह के चला गया ।।
लिखते है सदा उन्ही के लिए,जिन्होने हमे कभी पढा नही…!
माफ़ी चाहता हूँ गुनाहगार हूँ तेरा ऐ दिल…!!
तुझे उसके हवाले किया जिसे तेरी कदर नहीं…