मेरी आवारगी में कुछ क़सूर अब तुम्हारा भी है,
जब तुम्हारी याद आती है तो घर अच्छा नहीं लगता।
Tag: व्यंग्य
नींद आँखों में लिये
नींद आँखों में लिये, सुस्त पड़ी है कागज पर,
थकान लफ्ज़ों की मेरे, उतरी नहीं अब तक…
सितारों की फसलें
सितारों की फसलें उगा ना सका कोई
मेरी ज़मीं पे कितने ही आसमान रहे |
करवट बदलने का
करवट बदलने का क्या फायदा,
इस तरफ भी तुम, उस तरफ भी तुम……
जब तेरी यादें
वो लम्हा ज़िन्दगी का बड़ा
अनमोल होता है जब तेरी यादें, तेरी बातें , तेरा
माहौल होता है
कभी जिंदगी न मिले
करनी है खुदा से गुजारिश तेरी दोस्ती के सिवा कोई बंदगी न मिले
हर जनम में मिले दोस्त तेरे जैसा या फिर कभी जिंदगी न मिले !!
जिनके दिल पे लगती है
जिनके दिल पे लगती है चोट
वो आँखों से नही रोते.
जो अपनो के ना हुए, किसी के नही होते,
मेरे हालातों ने मुझे ये सिखाया है,
की सपने टूट जाते हैं
पर पूरे नही होते.
मकान बन जाते है
“मकान बन जाते है कुछ हफ्तों में,
ये पैसा कुछ ऐसा है…और घर टूट जाते है चंद पलो में, ये पैसा ही कुछ ऐसा है..।।
यूँ तो मशहूर हैं
यूँ तो मशहूर हैं अधूरी मोहब्बत के, किस्से बहुत से……………!!
मुझे अपनी मोहब्बत पूरी करके, नई कहानी लिखनी |
आइना फिर आज
आइना फिर आज रिश्वत लेते पकड़ा गया…
दिल में दर्द था, फिर भी चेहरा हँसता हुआ दिखाई दिया….!