एक हँसती हुई परेशानी, वाह क्या जिन्दगी हमारी है।
Tag: व्यंग्य
वो परिंदा था
वो परिंदा था, खुले आसमां में उड़ता था
उसे इश्क हुआ, सुना अब जमीं पे रेंगता है..
हूँ जन्म से
हूँ जन्म से ही जिस्म में अपने किरायेदार…
मेरा सफ़र है इस मकान से उस मकान तक…
बस यही सोचकर
बस यही सोचकर मैं शिकवा नहीं करता…!!!
हर कोई तो यहाँ पर वफ़ा नहीं करता….
प्यार है इश्क़ है
प्यार है इश्क़ है,मोहब्बत है, क्या है….
पतंग मेरी कटती है उदास वो हो जाता है…..
यूँ परेशान ना करो..
यूँ परेशान ना करो.. मेरी धड़कनों को छूकर देखो…
ये लड़खड़ा जाती हैं… तुम्हारा ख्याल भर आने से…
हर वक़्त रहता है
सबकी जिंदगी मेँ ,
एक ऐसा शख्स जरूर होता है,
जो किस्मत में नहीं,
लेकिन दिल और दिमाग
मे हर वक़्त रहता है …
दिल में कौन बसा है
दिल में कौन बसा है,
ये राज सिर्फ धडकनें जानती है…!!
बड़ा आदमी वो कहलाता है
बड़ा आदमी वो कहलाता है,
जिससे मिलने के बाद कोई ख़ुद को छोटा न महसूस करे..!!
आइना फैला रहा है
आइना फैला रहा है,
ये खुदफरेबी का मर्ज़।
हर किसी से कह रहा है,
आप सा कोई नही।