रोज़ थोड़ा थोड़ा मर रहा हूँ मैं…
पर प्यार तुझसे ही कर रहा हूँ मैं
Tag: व्यंग्य
जो कहता है
जो कहता है कि वह बिल्कुल मजे में है
वह या तो फकीर है या फिर नशे में है !!
सफ़र में धूप तो
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो,
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो…
जहाँ पे आख़री साँस
जहाँ पे आख़री साँस रहा करती है….
मैंने तुझे वहीं पर छुपा के रखा है|
पिघली हुई हैं
पिघली हुई हैं, गीली चांदनी,
कच्ची रात का सपना आए
थोड़ी सी जागी, थोड़ी सी सोयी,
नींद में कोई अपना आए
नींद में हल्की खुशबुएँ सी घुलने लगती हैं…
प्यार अपनों का
प्यार अपनों का मिटा देता है ,इंसान का वजूद ,
जिंदा रहना है तो गैरों की नज़र में रहिये…….
वो जिंदगी जिसे
वो जिंदगी जिसे समझा था कहकहा सबने…..
हमारे पास खड़ी थी तो रो रही थी अभी |
शीशे में डूब कर
शीशे में डूब कर पीते रहे उस जाम को….
कोशिशें की बहुत मगर भुला न पाए एक नाम को……!!
किस्मत ऊपर वाला लिखता है . .
कहते है किस्मत ऊपर वाला लिखता है . . . !
फिर उसे क्यों लाता है ज़िन्दगी में जो किस्मत में नही होता|
बात बे बात पर
बात बे बात पर तेरी बात का होना,
अब इसे ईश्क ना समझूं तो क्या समझूं?