दिल को जो मेरे ले गया, उसकी तलाश क्या करूँ
जिसने चुराया दिल मेरा, वो तो मेरी नज़र में है |
Tag: व्यंग्य
तुझ को देखे बिना
तुझ को देखे बिना करार ना था,
एक ऐसा भी……वक्त गुजरा है..!!
फूलों को मैं बिछाऊं…
फूलों को मैं बिछाऊं…
कहां है मेरी बिसात..
कांटे उठा लिए हैं मगर …
मैने तेरी राह के…!!
रात भर भटका है
रात भर भटका है मन मोहब्बत के पुराने पते पे ।
चाँद कब सूरज में बदल गया पता नहीं चला ।।
हर रात कुछ
हर रात कुछ खवाब अधूरे रह जाते हैं…
किसी तकिये के नीचे दबकर अगली रात के लिये….
किसी भी मौसम मे
किसी भी मौसम मे खरीद लीजिये जनाब…
मोहब्बत के जख्म हमेशा ताजे ही मिलेगें…!
यूँ ना हर बात पर
यूँ ना हर बात पर जान हाजिर कीजिये,
लोग मतलबी हैं कहीं मांग ना बैठे…!!!
उसको मालूम कहाँ
उसको मालूम कहाँ होगा, क्या ख़बर होगी,
वो मेरे दिल के टूटने से बेख़बर होगी,
वक़्त बीतेगा तो ये घाव भर भी जाएँगे,
पर ये थोड़ी सी तो तकलीफ़ उम्र भर होगी…
एक मुनासिब सा
एक मुनासिब सा नाम रख दो तुम मेरा.., रोज़ ज़िन्दगी पूछती है रिश्ता तेरा मेरा|
जाने क्या टूटा है
जाने क्या टूटा है पैमाना कि दिल है मेरा
बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं