कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए
जमाने की हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए
जमाने की हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!
कोई मुझ से पूछ बैठा
‘बदलना’ किस को कहते हैं?
सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ ?
“मौसम” की या “अपनों” की
कल रात मैने अपने दिल से भी रिश्ता तोड दिया…!
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पागल तेरे को भूल जाने की सलाह दे रहा था…
मिठी बाते ना कर ऐ नादान परिंदे,
इसांन सुन लेगा तो पिंजरा ले आएगा..
जैसा दोगे वैसा ही पाओगे..
फ़िर चाहे इज्ज़त हो या धोखा..!!
एक ख़्वाब ने आँखे खोली हैं….
क्या मोड़ आया है कहानी मैं…..
वो भीग रही है बारिश मैं………..
और आग लगी है
पानी मैं……!
झाड़ू, जब तक एक सूत्र में बँधी होती है, तब तक वह “कचरा” साफ करती है।
लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है तो खुद कचरा हो जाती है।
बदल गया वक़्त बदल गयी बातें बदल गयी
मोहब्बत कुछ नहीं बदला तो वो है
इन आँखों की नमी और तेरी कमी !!
कुछ इस तरह वो मेरी बातों का ज़िक्र किया करती है….
सुना है वो आज भी मेरी फिक्र किया करती है….!
दोस्ती इन्सान की ज़रुरत है!
दिलों पर दोस्ती की हुकुमत है!
आपके प्यार की वजह से जिंदा हूँ!
वरना खुदा को भी हमारी ज़रुरत है!