कमाल का शख्स था, जिसने ज़िंदगी तबाह कर दी;
राज़ की बात है दिल उससे खफा अब भी नहीं।
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तूने तो लाखों की
ख़ुदा तूने तो लाखों की
तकदीर संवारी है…
मुझे दिलासा तो दे,
के अब मेरी बारी है…!!!!
मैं अपनी चाहतों
मैं अपनी चाहतों का हिसाब करने जो बेठ जाऊ तुम
तो सिर्फ मेरा याद करना भी ना लोटा सकोगे …
जब भी दर्द दिया
उसे पता था कि उसकी हसी मुझे पसन्द है..
इस्लिये उसने जब भी दर्द दिया मुस्कुराकर दिया..!!
मफलर उलझ गया
देखो तो इक पहाड़ से
कंकड़ उलझ गया
जोशो जुनून से ये दिलावर उलझ गया
हिम्मत को
उसकी आप भी अब दाद दीजिए
लाखों के सूट बूट से मफलर
उलझ गया
तुम्हें ग़ैरों से कब
तुम्हें ग़ैरों से कब
फुर्सत हम अपने ग़म से कब ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना न
तुम ख़ाली न हम ख़ाली.
मैं डूबता हूँ
ना जाने किसकी
दुआओं का फैज़ है मुझपर,
मैं डूबता हूँ और दरिया उछाल देता है..
शर्म आती है
जब कभी खुद की
हरकतों पर शर्म आती है …..
चुपके से भगवान को भोग खिला देता
हूँ …..
जो दिखता तुझसा है
मालूम नहीं है मुझको हुस्न की तारीफ मगर
मेरे लिए हर वो शख्स खूबसूरत है जो दिखता तुझसा है
वक्त ही ना मिले
खुद की तरक्की में इतना
समय लगा दो
की किसी ओर की बुराई
का वक्त ही ना मिले……
“क्यों घबराते हो दुख होने से,
जीवन का प्रारंभ ही हुआ है रोने से..
नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है…
लोग “रूलाना” नहीं छोडते…
और हम ” हसना” नहीं……