है याद मुलाक़ात की वो शाम अब तक,
मैं तुझको भूलने में हूँ नाक़ाम अब तक…!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
है याद मुलाक़ात की वो शाम अब तक,
मैं तुझको भूलने में हूँ नाक़ाम अब तक…!
बेतरतीब बेमकसद बेपरवाह हूँ
पिछली सदी की मौत का गवाह हूँ
एक काम करो…
इस दिल को तुम ही रख लो,
बड़ी फ़िक्र रहती है इसे तुम्हारी..!!
उल्फ़त, मोहब्बत, वफ़ा, अफ़साने, अश्क। लगता है
वो आयी थी जिंदगी में
सिर्फ ऊर्दू सिखाने।
Usoolo pe aanch aaye….Toh takrana zaruri hai….
Zinda hai Toh… Zinda nazar aata zaruri hai..
एक बुढा व्यक्ति अपना मोबाईल लेकर रिपेयरिंग की दुकान पर गया और दिखाया.
रिपेयरिंग वाले ने कहा: यह बिलकुल ठीक काम कर रहा है
वृद्ध की आखों में आंसू आ गये बोला : फिर इसमें मेरे बच्चो के फोन क्यों नही आते?
समय के एक तमाचे की देर है प्यारे, मेरी फ़क़ीरी भी क्या,
तेरी बादशाही भी क्या..
जिसके पेट खाली है वो झंडा बेच रहे हैं, और जिसके पेट भरे है वो अपना देश बेच रहे हैं।
अपनी मर्जी से तो मुझे खाक भी मंजूर है…
तेरी शर्तो पर तो ताज भी मंजूर नहीं…!!!
इंसान सब कुछ कोपी कर सकता है. . .
केवल नसीब या किस्मत कोपी नहीं कर सकता…