हाथ मेरा देख कर ये
मशवरा उसने दिया..
कुछ लकीरों को मिटाना अब ज़रूरी हो गया
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हाथ मेरा देख कर ये
मशवरा उसने दिया..
कुछ लकीरों को मिटाना अब ज़रूरी हो गया
आधी से ज्यादा शब-ए-गम काट चुका हूँ ,
अब
भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है …
हर
एक आगाज का अंजाम तय है,
सहर कोई हो उसकी शाम तय
है..!!!
वक्त ने कई जख्म भर दिए, मै भी बहुत कुछ भूल चुका
हूँ..
पर किताबों पर धूल जमने से कहानियाँ कहाँ बदलती है..
थक गया हूँ रोटी के पीछे भाग
भाग कर।
थक गया हु सोती रातो मै जाग जाग कर।।
काश मिल
जाये वही बिता हुआ बचपन।
जब माँ..खिलाती थी भाग भाग
कर।
और सुलाती थी जाग जाग कर।
कोशिशें आज भी जारी हैं
हर वक्त
मुस्कराने की!
पर कमबख्त़ ये आँखें
धोख़ा दे ही जाती हैं
कोशिशें
आज भी जारी हैं
जख्मों को छुपाने की!
पर कमबख्त़ ये दुनियाँ
उन्हें कुरेद जाती है!
कड़वा सच………
.
गरीब से करीब का रिश्ता भी
छुपाते है लोग……
.
और अमीरो से दूर का रिश्ता भी
बढ़ा-चढ़ा कर
बताते है लोग……
? चाहें कितना भी कमा लो लेकिन कभी घमंड
न करना, क्योकि शतरंज का खेल खत्म होते ही राजा और मोहरे
एक ही डिब्बे में रख दिए जाते हैं।
Rango Ko Chun Raha
Tha Ke Kaliya Bikhar Gai,
Lamho Ke Aitbaar Me
Sadiya Guzar Gayin..
किसी को तकलीफ देना
मेरी आदत नही,
बिन बुलाया मेहमान बनना मेरी आदत नही…!
मैं
अपने गम में रहता हूँ नबाबों की तरह,
परायी खुशियो के पास जाना
मेरी आदत नही…!
सबको हँसता ही देखना चाहता हूँ मै,
किसी को
धोखे से भी रुलाना मेरी आदत नही…!
बांटना चाहता हूँ तो बस
प्यार और मोहब्बत,
यूँ नफरत फैलाना मेरी आदत नही…!
जिंदगी
मिट जाये किसी की खातिर गम नही,
कोई बद्दुआ दे मरने की यूँ
जीना मेरी आदत नही…!
सबसे दोस्त की हैसियत से बोल लेता
हूँ,
किसी का दिल दुखा दूँ मेरी आदत नही…!
दोस्ती होती है दिलों से
चाहने पर,
जबरदस्ती दोस्ती करना मेरी आदत नही..!
हवा से कह दो खुद को
आज़मा के दिखाये,
बहुत चिराग बुझाती है एक जला के दिखाये.