अजीब रंग में गुजरी है जिंदगी अपनी.
दिलो पर राज़ किया और मोहब्बत को तरसे..
Tag: व्यंग्य
महन्दी ना लगाना तुम
उन कसमो को भी तोड देना उन वादो को भी तोड दना जिन राहो पे थे |
हम चले उन राहो को भी छोड देना माफ करना खताए |
मेरी नई महफील सजाना तुम भुल जाना वफाये |
मेरी अपनी दूनीया बसाना तुम जनाजा मेरा उठने से पहले महन्दी ना लगाना तुम |
हमारी जिन्दगी मे
हाथ पकड कर रोक लेते अगर तझ पर जरा भी जोर
होता मेरा ना रोते हम यु तेरे लिये अगर हमारी जिन्दगी
मे तेरे शिवा कोई ओर होता
दर्द बेशुमार है
न रंग हैं न बौछार है…फिर वही इंतजा़र है….
फिर बैठे हैं रंग लिए दिल में..
फिर वही दर्द बेशुमार है….!!
कामयाबी के लिए
अकेले करना पड़ता हैं सफ़र जहाँ में कामयाबी के लिए..
काफिला और दोस्त,अक्सर कामयाबी के बाद ही बनते हैं..
वो बोलते रहे
वो बोलते रहे
हम सुनते रहे
जवाब आँखो मे था
वो जुबान मे ढुढँते रहे।
खो देने के बाद
मै इस काबिल तो नहीं की कोई मुझे अपना समझे,
पर इतना यकीन है कोई अफसोस जरूर करेगा मुझे खो देने के बाद..
शोर मचाने की
लहरो की तो फितरत ही हैं शोर मचाने की…..
मंजिल उसी की होती हैं…जो नजरो में तूफ़ान देखता हैं ।
मंजिल उसी की
लहरो की तो फितरत ही हैं शोर मचाने की…..
मंजिल उसी की होती हैं…जो नजरो में तूफ़ान देखता हैं ।
बातें तो सब
दिल बड़ा होना चाहिये..
बातें तो सब बड़ी बड़ी करते है…!!