किसने चलाया ये तोहफ़े लेने-देने का रिवाज..
गरीब आदमी मिलने-जुलने से भी डरता है..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
किसने चलाया ये तोहफ़े लेने-देने का रिवाज..
गरीब आदमी मिलने-जुलने से भी डरता है..!
एहसान ये रहा मुझ पर तोह़मत लगाने वालों का
उठती उँगलियों ने मुझे मशहूर कर दिया!!
चलती हुई “कहानियों” के जवाब तो बहुत हैं मेरे पास…
लेकिन खत्म हुए “किस्सों” के लिए खामोशी ही बेहतर है……
क्यों बताये किसी को हाले दिल अपना,
जो तूने बनाया वही हाल है अपना ।।
कल के नौसखिए..सिकंदर हो गए..!
हल्की हवा के झोंके..बवंडर हो गए..!
मै लड़ता रहा..उसूलों की पतवार थामें..!
मै कतरा ही रहा..लोग समन्दर हो गए..
उफ्फ तेरा अक्सर यूँ भूल जाना मुझको
अगर दिल ना दिया होता तो तेरी जान ले लेते…!!
वो तेरी गली का तसव्वुर वो नज़र नज़र पर पहरे…
वो मेरा किसी बहाने तुझे देखते गुज़रना…!
बड़ी चुगलखोर हैं खामोशियाँ तुम्हारी
सब बता देती हैं जब तुम खामोश होते हो !!
आज मुझसे पूछा किसी ने कयामत का मतलब ,
और मैंने घबरा के कह दिया रूठ जाना तेरा !!
फिर छीन रखे हैं होश हवास यादों ने उनकी
यहीं हाल रहा तो इक दिन फ़ना हो जायेंगें हम