थक गया है गम भी अपनी
कलाकारी करते करते,
ऐ खुशी तु भी अपना
किरदार निभा दे जरा।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
थक गया है गम भी अपनी
कलाकारी करते करते,
ऐ खुशी तु भी अपना
किरदार निभा दे जरा।
अपनी मर्जी से भी
दो चार कदम चलने दे ऐ जिंदगी,
तेरे कहने पे तो
बरसों चल रहे है…..
वो साथ थे तो
एक लफ़्ज़ ना निकला
लबों से,
दूर क्या हुए
कलम ने क़हर मचा दिया..!!
मुझे मौत में
जीवन के-
फूल चुनना है
अभी मुरझाना
टूटकर गिरना
और अभी
खिल जाना है
कल यहाँ-
आया था
कौन, कितना रहा
इससे क्या ?
मुझे आज अभी
लौट जाना है
मेरे जाने के बाद
लोग आएँ
अरथी सँभालें
काँधे बदलें
इससे पहले
मुझे खुद सँभलना है.
मौत आये
और जाने कब आये
अभी तो मुझे
सँभल-सँभलकर
रोज-रोज जीना
और रोज-रोज मरना है !
कभी फूलों की तरह मत जीना, जिस दिन खिलोगे…,, टूट कर बिखर जाओगे । जीना है तो पत्थर की तरह जियो; जिस दिन तराशे गए… “खुदा” बन जाओगे
अब तो कोयले भी काले नही लगते
जाना है अंदर से इंसानो को हमने!
अचानक सामने पाकर कहीं सांसें ना रुक जाएं ,
…
मेरी आँखों से अपना हाथ हटाना आहिस्ता आहिस्ता ।
शादियों का सीजन शुरू हो गया है।
अब न जाने कितनो की मोहबत किसी और की हो जायेगी
किसी को अपना बनाना हुनर ही सही
किसी के बन के रहना कमाल होता है |
कुछ तो मन और आँखों में पलती हैं
कहानियाँ सब कहाँ कागज़ों पे उतरती हैं…