इश्क था इसलिए सिर्फ तुझसे किया,
फ़रेब होता तो सबसे किया होता|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इश्क था इसलिए सिर्फ तुझसे किया,
फ़रेब होता तो सबसे किया होता|
हमने देखा था शौक-ऐ-नजर की खातिर
ये न सोचा था के तुम दिल मैं उतर जाओगे||
इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें,
जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें…
न तो धन छुपता है न मोहब्बत ,
जाहिर हो ही जाता है छुपाते – छुपाते
लम्हा सा बना दे मुझे..
रहूँ गुज़र के भी साथ उसके
नादाँ तुम भी नही
नादाँ हम भी नही
मुहब्बत का असर
इधर भी है …उधर भी है
जब से तूने हल्की हल्की बातें की हैं….
तबियत भारी भारी सी रहती है……
तेरे आने का इंतजार रहा
उम्र भर मौसम-ऐ-बहार रहा
दिल को जो मेरे ले गया, उसकी तलाश क्या करूँ
जिसने चुराया दिल मेरा, वो तो मेरी नज़र में है |
तुझ को देखे बिना करार ना था,
एक ऐसा भी……वक्त गुजरा है..!!