ए ज़िन्दगी तेरे जज़्बे को सलाम,
पता है कि मंज़िल मौत है, फिर भी दौड़ रही है…!
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देश का माहौल
देश का माहौल इतना बिगड़ गया है कि आमिर खान,
शाहरूख खान को तो छोड़ीये ।।
अब तो स्वयं मोदी जी भी देश मे नही रहते.
लिखूं ये मुमकिन नहीं
रोज़ रोज़ रात को लिखूं ये मुमकिन नहीं….
कहकर… मेरी कलम सो गयी है रज़ाई में।
सभी का खून
सभी का खून है शामिल यहा की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोडी है
घर नहीं मिला
दर दर भटक रही थी पर दर नहीं मिला,
उस माँ के चार बेटे हैं पर रहने को घर नहीं मिला।
किसी की कदर
सीख जाओ वक्त पर किसी की
कदर करना…
शायद सैल्फी इस बात का प्रमाण है के हम ज़िंदगी में
इतने अकेले रह गए है
कि हमारे आस पास हमारी फोटो खींचने वाले यार
दोस्त भी नहीं बचे”
उस ने एक
उस ने एक ही बार कहा “दोस्त हू ”
फिर मैने कभी नही कहा “व्यस्त हू ” !!!
अकड़ती जा रही हैं
अकड़ती जा रही हैं हर रोज गर्दन की नसें,
आज तक नहीं आया हुनर सर झुकाने का .
जिस समय हम
जिस समय हम किसी का
‘अपमान ‘ कर रहे होते हैं,
दरअसल,
उस समय हम अपना
‘सम्मान’ खो रहे होते है…
हमारा हक तो
हमारा हक तो नही है फिर भी हम तुमसे कहते हैं,
हमारी जिँदगी ले लो मगर उदास मत रहा करो..