हर रात एक नाम याद आता है,
कभी कभी सुबह शाम याद आता है,
सोच रहा हू कर लूँ दूसरी मोहब्बत,
पर फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है..!!
Tag: वक्त शायरी
चेहरे गुलाब नहीं होते
जाने क्यूँ अब शर्म, से चेहरे गुलाब नहीं होते।
जाने क्यूँ अब, मस्त मौला मिजाज नहीं होते।
पहले बता दिया करते थे, दिल की बातें।
जाने क्यूँ अब चेहरे, खुली किताब नहीं होते।
मौत से क्या
मौत से क्या डर मिनटों का खेल है
आफत तो ज़िन्दगी है बरसों चला करती है.
लोग होठों पे
लोग होठों पे सजाये हुए फिरते हैं मुझे
मेरी शोहरत किसी अखबार की मोहताज नहीं
खुदा की मोहब्बत
खुदा की मोहब्बत को फना कौन करेगा?
सभी बन्दे नेक हो तो गुनाह कौन करेगा?
ये सरहदे कब हटेगी
ये रिवाजी पाबंदिया…
ये सरहदे कब हटेगी…
इंतज़ार है मुझे एक नई खुशनुमा सुबह का…
भरोसा करते है
हम जिन पर आँखे बन्द करके भरोसा करते है,
अक्सर वही लोग हमारी आँखे खोल जाते है
अब कैसे हिसाब हो
उसकी मौहब्बत के कर्ज का,
अब कैसे हिसाब हो….
वो गले लगाकर कहती है,
आप बड़े खराब हो….
वक्त जरूर लगा
वक्त जरूर लगा पर मैं सम्भल गया क्योंकि।
मैं ठोकरों से गिरा था किसी के नज़रों से नहीं।।
उंगली मेरी वफ़ा
उंगली मेरी वफ़ा पे ना उठाना लोगों,
…
जिसे शक हो वो एक बार निभा कर देखे ।