जाने कितने झूले थे फाँसी पर, कितनो ने गोली खायी
थी
क्यों झूठ बोलते हो साहब , की चरखे से आजादी आई थी
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जाने कितने झूले थे फाँसी पर, कितनो ने गोली खायी
थी
क्यों झूठ बोलते हो साहब , की चरखे से आजादी आई थी
समंदर सारे शराब होते तो
सोचो कितने फसाद होते,
हकीक़त हो जाते ख्वाब सारे तो
सोचो कितने फसाद होते..
किसी के दिल में क्या छुपा है
बस ये खुदा ही जानता है,
दिल अगर बेनक़ाब होते तो
सोचो कितने फसाद होते..
थी ख़ामोशी फितरत हमारी
तभी तो बरसों निभा गई,
अगर हमारे मुंह में भी जवाब होते
तो सोचो कितने फसाद होते..
हम अच्छे थे पर लोगों की
नज़र मे सदा रहे बुरे,
कहीं हम सच में खराब होते तो
सोचो कितने फसाद होते….. !!!!
खरीद सकते उन्हें तो
अपनी जिंदगी देकर भी खरीद लेते ,
पर कुछ लोग “कीमत” से नही
“किस्मत” से मिला करते हैं…
थक गया है गम भी अपनी
कलाकारी करते करते,
ऐ खुशी तु भी अपना किरदार निभा दे जरा।
कीतने कम लफ्जों मे जिंदगी को बयाँ करुँ ?
लो तुम्हारा नाम लेके किस्सा तमाम करुँ !!
परखता रहा उम्र भर, ताकत दवाओं की,
दंग रह गया देख कर, ताकत दुआओं की!!?
जो लम्हा साथ हैं, उसे जी भर के जी लेना,
कमबख्त ये ज़िंदगी, भरोसे के काबिल नहीं होती…
कशिश हो तो दुनियां मिलने को मचलती है,
जिन्दगी शर्तो से नहीं जिंदा दिली से चलती है..
तुझे चिठ्ठीयाँ नहीं करवटों की नकल भेजेंगे..
अब चादर के नीचे ..
कार्बन लगाने लगे हैं हम..
I want to go to sleep at night, wake up every day,
and breathe knowing you are truly mine…