बहुत जलील था

बहुत जलील था वो दिन भी, मेरे लिए….

उधर

मोहब्बत किसी और की होने जा
रही थी…..
इधर लोग कह रहे थे.
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भाई एक “पूड़ी” और देना अच्छी नरम वाली।।।

रो रहे थे

रो रहे थे सब तो मैं भी फूट कर

रोने लगा
वरना मुझको बेटियों की रुख़सती अच्छी लगी