वोह अल्फ़ाज़ ही क्या जो समझानें पढ़ें,
हमने मुहब्बत की है कोई वकालत नहीं ।
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जब उसने मुझसे
जब उसने मुझसे कहा तुम्हारे दोस्त अच्छे नहीं।।।तब हम थोडा मुस्कुराये ओर कहा के, पगली तेरी इतनी तो “औकात” नहीं की तु मेरे दोस्तों की “औकात” बता सके।।।दिल तुझे दीया हैं लेकिन “जान” आज भी “दोस्तो” के लिए ही है।।।।।
मरने के बाद
बाद मरने के बाद दफ़नाना मुझे मैखाने मैं…मैखाने की मिट्टी रहे मैखाने मै
मजबूरियाँ पे न हँसिये
किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये,
कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता…
डरिये वक़्त की मार से,
बुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता…
अकल कितनी भी तेज ह़ो,
नसीब के बिना नही जित सकती..
बिरबल अकलमंद होने के बावजूद,
कभी बादशाह नही बन सका !!!
कभी ना मिल पाये
नदी के किनारों की तरह शायद हम तुम
कभी ना मिल पाये…
पर समन्दर में मिलने तक तुम मेरे साथ तो
चलो…
हमदर्द नहीं होता
इस दुनिया मे कोई किसी का
हमदर्द नहीं होता,
लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं।
“और कितना वक़्त लगेगा”…
शौक पूरे करो
शौक पूरे करो….
ज़िन्दगी तो खुद ही एक दिन पूरी हो जाएगी…!
इतना भी ना हो
उबाल इतना भी ना हो कि खून सूख कर उड़ जाए;
धैर्य इतना भी ना हो कि, खून जमें तो फिर खौल ही ना
पाए ।
रास्ते बदलो सिद्धान्त नहीं
यदि सपने सच नहीं हो तो रास्ते बदलो…
सिद्धान्त नहीं।
पेड़ हमेशा पत्तियाँ बदलते हैं….
जड़ें नहीं……
वो और थे
वो और थे जिनकी उल्फतें इंतज़ार में निखर गयीं ।।
हमारी तुम्हारी तो तकरार में बिखर गयीं ।।