ज़ख्म भले ही

ज़ख्म भले ही अलग अलग हैं,
लेकिन दर्द बराबर है ।
कोई फर्क़ नहीं पड़ता है,
तुम सह लो या मैं सह लूँ ।

क्यूँ बदलते हो

क्यूँ बदलते हो अपनी फितरत को ए मौसम,
इन्सानों सी।

तुम तो रहते हो रब के पास
फिर कैसे हवा लगी जमाने की।।।

हताशा मे डूबी

हताशा मे डूबी माँ के

आंसू जब औलाद पोंछती है..!!
हर कर्ज अदा हो जाता है..ममता धन्य

हो जाती है..!!