ना खुशी की तलाश है ना गम-ए-निजात की आरज़ू,
मै ख़ुद से ही नाराज हूँ तेरी नाराजगी के बाद।
Tag: वक्त शायरी
करें किसका यक़ीन
करें किसका यक़ीन यहाँ सब अदाकार ही तो हैं,
गिला भी करें तो किससे करें सब अपने यार ही तो हैं।
तुमको दे दी है
तुमको दे दी है इशारों में इजाज़त मैने..
माँगने से ना मिलूँ….तो चुरा लो मुझको..
इलाज न ढूंढ
इलाज न ढूंढ इश्क का वो होगा ही नही,
इलाज मर्ज का होता है इबादत का नही ।
मुस्काना तो पड़ता है
महफ़िल महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है
खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता है
उनकी आँखों से होकर दिल तक जाना
रस्ते में ये मैखाना तो पडता हैं
तुमको पाने की चाहत में ख़तम हुए
इश्क में इतना जुरमाना तो पड़ता हैं
हजारों महेफिलें है
हजारों महेफिलें है और लाखो मेले है,पर जहां तुम नहीं वहां हम अकेले है !!
तुम मेरे साथ
तुम मेरे साथ चलो सब को दिखाने के लिये,
फिर किसी मोड़ पर चुपके से जुदा हो जाना !!
रहते हैं साथ-साथ
रहते हैं साथ-साथ मैं और मेरी तन्हाई
करते हैं राज की बात मैं और मेरी तन्हाई
दिन तो गुजर ही जाता है लोगो की भीड़ में
करते हैं बसर रात में मैं और मेरी तन्हाई !!
रात को जीत तो पाता नहीं
रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन ये चराग़
कम से कम रात का नुक़सान बहुत करता है|
उड़ने दो मिट्टी
उड़ने दो मिट्टी,कहाँ तक उड़ेगी,
हवा का साथ छूटेगा, ज़मीं पर आ गिरेगी…!