तू मूझे नवाज़ता है ये तेरा करम है मेरे
मौला वरना तेरी मेहरबानी के लायक मेरी
इबादत कहाँ…
Tag: वक्त शायरी
मैं एक क़तरा हूँ
मैं एक क़तरा हूँ मुझे ऐसी शिफ़त दे दे मौला ,
कोई प्यासा जो नजर आये तो दरिया बन जाऊ ।।
यादों के सहारे
यादों के सहारे दुनिया नही चलती,बिना किसी शायर के महफ़िल नही बनती,एक बार पुकारो तो आए दोस्तों,क्यों की दोस्तों के बिना ये धड़कने नही चलती..
नर्म लफ़्ज़ों से
नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती है चोटें अक्सर,
रिश्ते निभाना बड़ा नाज़ुक सा हुनर होता है
मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,
पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते।
ये कैसी किस्मत है
ये कैसी किस्मत है दिल और भरोसे की,,,
कि सिर्फ टूटना लिखा रब ने मुकद्दर में…
हसरत ये के थाम लूँ
हसरत ये के थाम लूँ हाथ उनका ज़ोर से,
मगर कमबख़्त उनकी चूड़ियों पे तरस आता है…
काश तुम कभी ज़ोर से
काश तुम कभी ज़ोर से गले लगा कर कहो,
डरते क्यों हो पागल तुम्हारी ही तो हूँ…
अगर परछाईंया कद से
अगर परछाईंया कद से और बातें औकात से ज्यादा होने…तो समझ
लीजिये कि सूरज डूबने वाला है….
गुरुर-ए-हुस्न
गुरुर-ए-हुस्न की मदहोशी में, उनको ये भी नहीं खबर;
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कौन चाहेगा सिवा मेरे, उनको उम्र ढल जाने के बाद !!
वो मेरा नाम लिखते हैं
जमीपर वो मेरा नाम लिखते हैं और मिटाते हैं…
कम्बखत उनका टाइमपास होता हैं लेकिन नाम हमारा मिट्टी मे मिल जाता हैं ..