बरसों पुराना ये खँडर

जिस्म का बरसों पुराना ये खँडर गिर जाएगा,
आँधियों का ज़ोर कहता है शजर गिर जाएगा !

हम तवक़्क़ो से ज़ियादा सख़्त-जाँ साबित हुए,
वो समझता था कि पत्थर से समर गिर जाएगा !

अब मुनासिब है कि तुम काँटों को दामन सौंप दो,
फूल तो ख़ुद ही किसी दिन सूखकर गिर जाएगा !

बड़ी नादान है

बड़ी नादान है इस
निकम्मे दिल की..
हरकतें जो मिल गया
उसकी कदर ही नहीं,
और जो ना मिला उसे
भूलता नहीं