काश तुम कभी ज़ोर से गले लगा कर कहो,
डरते क्यों हो पागल तुम्हारी ही तो हूँ…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
काश तुम कभी ज़ोर से गले लगा कर कहो,
डरते क्यों हो पागल तुम्हारी ही तो हूँ…
अगर परछाईंया कद से और बातें
औकात से ज्यादा होने…तो समझ
लीजिये कि सूरज डूबने वाला है….
वो ना कुछ कहे चली गयी,
हम ना कुछ सुने थम गए,
इसी चाह मे ऐ दिल ऐ करवा,
तु ले चल मुझे ना कुछ
कहे ना बिन सुने…
गुरुर-ए-हुस्न की मदहोशी में,
उनको ये भी नहीं खबर;
कौन चाहेगा सिवा मेरे,
उनको उम्र ढल जाने के बाद !!……
बडी उलझन है….
जो चुप रहू तो दिल के दाग जलते है…
जो बोल दू तो बुझते चिराग जलते है…
जोखिम उठाने की आदत ना थी हमे ….
न जाने कैसे इश्क कर बैठे |
जिंदगी में,
एक दूसरे के जैसा होना जरूरी नहीं होता…
एक दूसरे के लिये होना जरूरी होता है…
ख़ुशी तकदीरो में होनी चाहिए,
तस्वीरो में तो हर कोई खुश नज़र आता है ..
हक़ीक़त ना सही तुम
ख़्वाब की तरह मिला करो,
भटके हुए मुसाफिर को
चांदनी रात की तरह मिला करो |
हमें रोता देखकर वो ये कह के चल दिए कि,
रोता तो हर कोई है क्या हम सब के हो जाएँ|