उसने जी भर के मुझको चाहा था…,
फ़िर हुआ यूँ कि उसका जी भर गया।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उसने जी भर के मुझको चाहा था…,
फ़िर हुआ यूँ कि उसका जी भर गया।
ये फैसला तो शायद वक़्त भी न कर सके
सच कौन बोलता है, अदाकार कौन है।
ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू,
हम किससे करें बात कोई बोलता ही नहीं…
जुड़ना सरल है…
पर
जुड़े रहना कठिन….
बादलों से मिलता हुआ मिजाज़ था मेरे प्यार का,
कभी टूट के बरस गया कभी बेरुखी से गुज़र गया।।
झुकती पलकें,उभरती साँसें,मौन होंठ,बोलती
आँखें,सिमटती हया और खुले बाल,
सच कहूँ तुमसे बेहतर जँहा में कुछ देखा नहीं मैंने।
जिंदगी पर बस इतना ही लिख पाई हूँ मैं….
बहुत “मज़बूत” रिश्तें है…कुछ लापरवाह लोगों से|
इन आँखों में, आज फिर नमी सी है…
इस दिल में आज फिर तेरी कमी सी है!!
नहीं भूलती वो तेरी बातें…
याद आ गईं फिर,वो मुलाकातें !!!
आज भी धड़कने बढ़ा देता है उस पल का याद आना,
मेरे जाने पर तेरा लिपट के गले लग जाना।
बहुत सोचती हूँ एक चेहरे के बारे में,
जो मुझे रोता छोड़ गया था चौबारे में।