शब्द तो सारे के सारे सुरक्षित हैं …
बस भावनाओं का वाष्पीकरण हो गया है
तुम्हारे खतो से…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
शब्द तो सारे के सारे सुरक्षित हैं …
बस भावनाओं का वाष्पीकरण हो गया है
तुम्हारे खतो से…
एक तुम्हारे होने से कितनी,
ख्वाइशें सजा लीं है मैंने…….!!
कि मेरी दस्तक पे,
घर का दरवाजा तुम खोलो…!!
लौट आओ ना…
और आकर सिर्फ
इतना कह दो…
मैं भटक गई थी,
थी भी तुम्हारी और
हूँ भी तुम्हारी ही…।
मत पूछ इस जिंदगी में,
इन आँखों ने क्या मंजर देखा
मैंने हर इंसान को यहाँ,
बस खुद से हीं बेखबर देखा।
तारीख हज़ार साल में बस इतनी सी बदली है,…
तब दौर पत्थर का था अब लोग पत्थर के हैं|
किसी से जुदा होना अगर इतना आसान
होता ,
तो….
जिस्म से रूह को लेंने कभी फरिस्ते
ना आते !!
तूने फेसले ही फासले बढाने वाले किये थे
,
वरना कोई नहीं था, तुजसे ज्यादा
करीब मेरे..।
बड़ी मुश्किल से सीखा है, खुश रहना उसके बगैर….!!अब सुना है, ये बात भी उसे परेशान करती हैं!!!!!
यूँ सामने आकर
ना बैठा करो,,
सब्र तो सब्र है,
हर बार नही होता!!!
ये न पूछ के शिकायतें कितनी है तुझसे
ये बता के तेरा और कोई सितम बाकी तो नहीं …!!!