काश आंसुओ के साथ यादे भी बह जाती …
तो एक दिन तस्सली से बैठ के रो लेते…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
काश आंसुओ के साथ यादे भी बह जाती …
तो एक दिन तस्सली से बैठ के रो लेते…
अल्फ़ाज़ चुराने की जरूरत ही न पड़ी कभी..,
तेरे बेहिसाब ख्यालों ने, बेतहाशा लफ्ज़ दिये..,
वो अच्छे हैं तो बेहत्तर, बुरे हैं तो भी कुबूल।
मिजाज़-ए-इश्क में, ऐब-ए-हुनर नहीं देखे जाते|
तुम अगर चाहो तो पूछ लिया करो खैरियत हमारी..
कुछ हक़ दिए नही जाते ले लिए जाते है …
कोई हिमाकत न करे, जिन्दगी उधार देने की…
हम हौसला रखते है, मौत को नकद में चुकाने का।
अब इत्र भी मलो तो तकल्लुफ़ की बू कहाँ
वो दिन हवा हुए जो पसीना गुलाब था|
सुना है काफी पढ़ लिख गए हो तुम, कभी वो बी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते !!
सिर्फ दो ही वक़्त पर उसका साथ चाहिए, एक तो अभी और एक हमेशा के लिये..
बदला बदला सा है मिजाज क्या बात हो गई..??
शिकायत हमसे है या किसी और से मुलाकात हो गई..??
क़रार दिल को सदा जिस के नाम से आया
वो आया भी तो किसी और काम से आया|