अपनापन
छलके जिनकी बातों में,
सिर्फ कुछ ही बंदे ऐसे होते हैं लाखों में!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अपनापन
छलके जिनकी बातों में,
सिर्फ कुछ ही बंदे ऐसे होते हैं लाखों में!
मेरी
आँखों का तेरी यादों से कोई ताल्लुक़ तो है,
तसवुर में जब भी आते
हो…चेहरा खिल सा जाता है…
बैठे थे अपनी मस्ती में के अचानक तड़प उठे,
आ कर तुम्हारी याद ने अच्छा नहीं किया….
करें किसका एतबार यहाँ, सब अदाकार ही तो हैं…
और गिल़ा भी किससे करें, सब अपने यार ही तो है ।
ये मोहब्बत की राहें भी अजीब होती है,,
एक रास्ता भटक जाए तो दुसरे की मंजिल खो जाती है
सोचता हू तेरी तारीफ में कुछ लिखु….
फिर खयाल आया की कही पढने वाला भी
तेरा दिवाना ना हो जाए….!!
मेरी गली के बच्चे बहुत शरारती हैँ,
आज फिर तुम्हारा नाम मेरी दीवार पर लिख गये…….
मोहब्बत किससे और कब हो जाये अदांजा नहीं होता..!
ये वो घर है, जिसका दरवाजा नहीं होता.
तू बिल्कुल चांद की तरह है…
ए सनम..,
नुर भी उतना ही..
गरुर भी उतना ही..
और दूर भी उतना ही.!.
मुसकुराहटे झुठी भी हुआ करती है,
देखना नहीं समझना सीखो…