वो पूछ रहे हैं

सबब वो पूछ रहे हैं उदास होने का
मिरा मिज़ाज नहीं बे-लिबास होने का

मिरी ग़ज़ल से बना, ज़ेहन में कोई तस्वीर
सबब न पूछ मिरे देवदास होने का

जख्म ही देना

जख्म ही देना था तो पूरा जिस्म उसके हवाले था ….!

पर उस जालिम ने जब भी वार किया तो सीधा दिल पर किया …!

मै तरसती रही

मै तरसती रही हर पल उसकी आवाज़ सुनने को
कितनी आसानी से कह दिया उसने वक़्त मिलेगा तो बात कर लेंगे ..