सब शायर खामोश हैं ऐसे
किसी बेवफा ने ज़हर दे दिया हो जैसे
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सब शायर खामोश हैं ऐसे
किसी बेवफा ने ज़हर दे दिया हो जैसे
तेरी तस्वीर जब इतना सूकून देती है…
खुदा जाने क्या होगा जब तुम गले मिलोगे !!
मै बेवजह उसके सामने आज हंस के आया हूँ….
अनजाने मे उसको सोचने की वजह दे आया हूँ
तूने तो कह दिया अब तेरा मेरा कोई वास्ता नहीं हैं
फिर भी अगर तू आना चाहे तो रास्ता वही हैं !!
फ़रिश्ते ही होंगे जिनका हुआ “इश्क” मुकम्मल
इंसानों को तो हमने सिर्फ बर्बाद होते देखा है|
जागना भी कबूल हैं तेरी यादों में रात भर..
तेरे एहसासों में जो सुकून है वो नींद में कहाँ..
इश्क की पतंगे उडाना छोड़ दी वरना हर हसीनाओं
की छत पर हमारे ही धागे होते …!
तुम तो कहते थे मुहब्बत नही होती कुछ भी
तुमने क्युँ हाल बनाया है फकीरों जैसा
भीड़ से कट के न बैठा करो तन्हाई में
बेख़्याली में कई शहर उजड़ जाते हैं।
ख़ाक उड़ती है रात भर मुझ में…
कौन फिरता है दर-बदर मुझ में.. !
.
मुझ को मुझ में जगह नहीं मिलती…
कोई मौजूद है इस क़दर मुझ में।