सुनो.. इस दूनिया मेँ हर वो एक शख्स अकेला हैँ
जिसने सच्चे दिल से मोहब्बत की हैँ…!!
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सुब्ह सवेरे कौन सी
सुब्ह सवेरे कौन सी सूरत फुलवारी में आई है
डाली डाली झूम उठी है कली कली लहराई है ।
यूँहीं फ़िदा है
हम तो यूँहीं फ़िदा है तुम पर,तुम्हे सजने की जरूरत क्या है ।।
ज़ख्मो पे मुस्कुराने लगे
आज वो अपने होके भी बेगाने लगे ,
मानो हवा के ठन्डे झोके हमे जलाने लगे एक आह पे मेरी गिरते थे जिनके हजारो आंसू ,
आज वो भी मेरे ज़ख्मो पे मुस्कुराने लगे
यूँ तो मुझे किसी के
यूँ तो मुझे किसी के छोड़ जाने का गम नहीं ।
“बस”
कोई ऐसा था, जिससे ये
उम्मीद न थी।।
किसी की भी
तारीफ किसी की करने के लिये “जिगर” चाहिए बुराई तो बिना हुनर की किसी की भी कर सकते हैं ।
दहलीज पर रख दी
जरूरी नहीं की हर बात पर तुम मेरा कहा मानों,
दहलीज पर रख दी है चाहत, आगे तुम जानो..!!
कोई चख ले
ज़हर से ज्यादा खतरनाक है ये मुहब्बत,ज़रा सा कोई चख ले तो मर-मर के जीता है
मैं तो आइना हूँ
बिन बात के ही रूठने की आदत है,
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है,
वो खुश रहें, मेरा क्या है,
मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है
लगने दो आज महफ़िल
लगने दो आज महफ़िल, चलो आज
शायरी की जुबां बहते हैं
…. तुम उठा लाओ “ग़ालिब” की किताब,हम अपना
हाल-ए-दिल कहते हैं