कुछ लुत्फ़ आ रहा है– मुझे दर्दे–इश्क में,
जो गम दिया है तूने वो राहत से कम नहीं|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ लुत्फ़ आ रहा है– मुझे दर्दे–इश्क में,
जो गम दिया है तूने वो राहत से कम नहीं|
मौसम देख रही हो,
ये चाहता है के फिरसे तुमसे इश्क हो ….
तेरी सादगी ही कत्ल करती है मेरा ,
क्या होगा जब सँवर के आएगी तू !
मैं तन्हाई को तन्हाई में तन्हा कैसे छोड़ दूँ.
इस तन्हाई ने तन्हाई में तन्हा मेरा साथ दिया था |
ये दुनिया अक्सर सस्ते में उन्हें लूट लेती है;
खुद की क़ीमत का जिन्हें अन्दाज़ा नहीं होता!
दिल का हर घाव भरने लगता है
तेरी आवाज़ है कि मरहम है|
नींद तो अब भी बहुत आती है मगर…
समझा बुझा के मुझे उठा देती हैं ज़िम्मेदारियां…!
हज़ार बार माँगा करो तो क्या हांसिल ,
दुआ वहीं है जो दिल से कभी निकलती हैं|
तज़ुर्बा मेरा लिखने का बस इतना सा है
मैं सुनता हूँ वाह वाह अपनी ही तबाही पर
शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदास
रौनक़ें जितनी यहाँ हैं औरतों के दम से हैं|